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QURAAN K 99 HUKM

शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम करने वाला है  



इसमें कोई शक़ नहीं के क़ुरान अल्लाह का कलाम है और उसमे लिखी हर बात सच है उसी क़ुरआन में अल्लाह में हमें कुछ कामो से रोका है और कुछ को करने का हुक्म दिया है !
अल्लाह तआला के 99 हुक्म जो उसने क़ुरआन  बन्दों को बताये हैं नीचे लिखे जा रहे हैं 
उन हुक्म पैर अमल कर के अपनी दुनिया वा आख़िरत दुरुस्त कीजिये !


1. बदज़ुबानी से बचो | (सूरह 3:आयत 159)

2. गुस्से को पी जाओ | (सूरह 3: आयत 134)

3. दूसरों के साथ भलाई करो | (सूरह 4 : आयत 36)

4. घमंड से बचो | (सूरह 7 : आयत 13)

5. दूसरों की गलतियां माफ करो | (सूरह 7 : आयत 199)

6. लोगों से नरमी से बात करो | (20 : आयत  44)

7. अपनी आवाज़ नीची रखों | (सूरह 31 : आयत 19)

8. दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ | (सूरह 49 : आयत 11)

9. वालदैन की इज़्ज़त और उनकी फरमानबरदारी करो | (सूरह 17 : आयत 23)

10. वालदैन की बेअदबी से बचो और उनके सामने उफ़ तक न कहो | (सूरह 17 : आयत 23) 

11. इजाज़त के बिना किसी के कमरे मे (निजी कक्ष) में दाखिल न हो (सूरह 24 : आयत 58)

12. आपस में क़र्ज़ के मामलात लिख लिया करो | (सूरह 2 : आयत 282)

13. किसी की अंधी तक़लीद मत करो | (सूरह 2 : आयत 170)

14. अगर कोई तंगी मे है तो उसे कर्ज़ उतारने में राहत दो | (सूरह 2 : आयत 280)

15. ब्याज मत खाओ | (सूरह 2 : आयत 275)

16. रिश्वत मत खाओ | (सूरह 2 : आयत 188)

17. वादों को पूरा करो | (सूरह 2 : आयत 177)

18. आपस में भरोसा कायम रखो | (सूरह 2 : आयत 283)

19. सच और झूठ को आपस में ना मिलाओ | (सूरह 2 : आयत 42)

20. लोगों के बीच इंसाफ से फैसला करो | (सूरह 4 : आयत 58)

21. इंसाफ पर मज़बूती से जम जाओ | (सूरह 4 : आयत 135)

22. मरने के बाद हर शख्स की दोलत उसके करीबी रिश्तेदारों में बांट दो | (सूरह 4 : आयत 7)

23. औरतों का भी विरासत में हक है | (सूरह 4 : आयत 7)

24. यतीमों का माल नाहक मत खाओ | (सूरह 4 : आयत 10)

25. यतीमों का ख्याल रखो | (सूरह 2 : आयत 220)

26. एक दूसरे का माल नाजायज़ तरीक़े से मत खाओ | (सूरह 4 : आयत 29)

27. किसी के झगड़े के मामले में लोगों के बीच सुलह कराओ | (सूरह 49 : आयत 9)

28. बदगुमानी(guesswork) से बचो | (सूरह 49 : आयत 12)

29. गवाही को मत छुपाओ | (सूरह 2 : आयत 283)

30. एक दूसरे के भेद न टटोला करो और किसी की चुगली मत करो | (सूरह 49 : आयत 12)

31. अपने माल में से खैरात करो | (सूरह 57 : आयत 7)

32. मिसकीन गरीबों को खिलाने की तरग़ीब दो | (सूरह 107 : आयत 3)

33. जरूरतमंद को तलाश कर उनकी मदद करो | (सूरह 2 : आयत 273)

34. कंजूसी और फिज़ूल खर्ची से बचा करो | (सूरह 17 : आयत 29)

35. अपनी खैरात लोगों को दिखाने के लिये और एहसान जताकर बर्बाद मत करो | (सूरह 2 : आयत 264)

36. मेहमानों की इज़्ज़त करो | (सूरह 51 : आयत 26)

37. भलाई पर खुद अमल करने के बाद दूसरों को बढ़ावा दो | (सूरह2 : आयत 44)

38. ज़मीन पर फसाद मत करो | (सूरह 2 : आयत 60)

39. लोगों को मस्जिदों में अल्लाह के ज़िक्र से मत रोको | (सूरह 2 : आयत 114)

40. सिर्फ उन से लड़ो जो तुम से लड़ें | (सूरह 2 : आयत 190)

41. जंग के आदाब का ख्याल रखना (सूरह 2 : आयत 191)

42. जंग के दौरान पीठ मत फेरना (सूरह 8 : आयत 15)

43. दीन में कोई ज़बरदस्ती नहीं (सूरह 2 : आयत 256)

44. सभी पैगम्बरों पर इमान लाओ (सूरह 2 : आयत 285)

45. हालत माहवारी में औरतों के साथ संभोग न करो (सूरह 2 : आयत 222)

46. ​​मां बच्चों को दो साल तक दूध पिलाएँ (सूरह 2 : आयत 233)

47. खबर दार ज़िना (fornication) के पास किसी सूरत में भी नहीं जाना (सूरह 17 : आयत 32)

48. हुक्मरानो को खूबीे देखकर चुना करो (सूरह 2 : आयत 247)

49. किसी पर उसकी ताकत से ज़्यादा बोझ मत डालो (सूरह 2 : आयत 286)

50. आपस में फूट मत डालो (सूरह 3 : आयत 103)

51. दुनिया की तखलीक चमत्कार पर गहरी चिन्ता करो (सूरह 3 : आयत 191)

52. मर्दों और औरतों को आमाल का सिला बराबर मिलेगा (सूरह 3 : आयत 195)

53. खून के रिश्तों में शादी मत करो (सूरह 4 : आयत 23)

54. मर्द परिवार का हुक्मरान है (सूरह 4 : आयत 34)

55. हसद और कंजूसी मत करो (सूरह 4 : आयत 37)

56. हसद मत करो (सूरह 4 : आयत 54)

57. एक दूसरे का कत्ल मत करो (सूरह 4 : आयत 92)

58. खयानत करने वालों के हिमायती मत बनो (सूरह 4 : आयत 105)

59. गुनाह और ज़ुल्म व ज़यादती में मदद मत करो (सूरह 5 : आयत 2)

60. नेकी और भलाई में सहयोग करो (सूरह 5 : आयत 2)

61. अक्सरियत मे होना सच्चाई का सबूत नहीं (सूरह 6 : आयत 116)

62. इंसाफ पर कायम रहो (सूरह 5 : आयत 8)

63.जुर्म की सज़ा मिसाली तौर में दो (सूरह 5 : आयत 38)

64. गुनाह और बुराई आमालियों के खिलाफ भरपूर जद्दो जहद करो (सूरह 5 : आयत 63)

65. मुर्दा जानवर, खून, सूअर का मांस निषेध हैं (सूरह 5 : आयत 3)

66. शराब और नशीली दवाओं से खबरदार (सूरह 5 : आयत 90)

67. जुआ मत खेलो (सूरह 5 : आयत 90)

68. दूसरों की आस्था का मजाक ना उडाओ (सूरह 6 : आयत 108)

69. लोगों को धोखा देने के लिये नाप तौल में कमी मत करो ( सूरह 6 : आयत 152)

70. खूब खाओ पियो लेकिन हद पार न करो ( सूरह 7 : आयत 31)

71. मस्जिदों में इबादत के वक्त अच्छे कपड़े पहनें (सूरह 7 : आयत 31)

72. जो तुमसे मदद और हिफाज़त और पनाह के तलबगार हो उसकी मदद और हिफ़ाज़त करो (सूरह 9 : आयत 6)

73. पाक साफ रहा करो (सूरह 9 : आयत 108)

74. अल्लाह की रहमत से कभी निराश मत होना (सूरह 12 : आयत 87)

75. अज्ञानता और जिहालत के कारण किए गए बुरे काम और गुनाह अल्लाह माफ कर देगा (सूरह 16 : आयत 119)

76. लोगों को अल्लाह की तरफ हिकमत और नसीहत के साथ बुलाओ (सूरह 16 : आयत 125)

77. कोई किसी दूसरे के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा (सूरह17 : आयत 15)

78. मिसकीनी और गरीबी के डर से बच्चों की हत्या मत करो (सूरह 17 : आयत 31)

79. जिस बात का इल्म न हो उसके पीछे(Argue) मत पड़ो। (सूरह 17 : आयत 36)

80. निराधार और अनजाने कामों से परहेज़ करो (सूरह 23 : आयत 3)

81. दूसरों के घरों में बिला इजाज़त मत दाखिल हो (सूरह 24 : आयत 27)

82. जो अल्लाह में यकीन रखते हैं, अल्लाह उनकी हिफाज़त करेगा (सूरह 24 : आयत 55)

83. ज़मीन पर आराम और सुकून से चलो (सूरह 25 : आयत 63)

84. अपनी दुनियावी ज़िन्दगी को अनदेखा मत करो (सूरह 28 : आयत 77)

85. अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारो (सूरह 28 : आयत 88)

86. समलैंगिकता से बचा करो (सूरह 29 : आयत 29)

87. अच्छे कामों की नसीहत और बुरे कामों से रोका करो (सूरह 31 : आयत 17)

88. ज़मीन पर शेखी और अहंकार से इतरा कर मत चलो (सूरह 31 : आयत 18)

89. औरतें अपने बनाओ सिनघार तकब्बुर न करें (सूरह 33 : आयत 33)

90. अल्लाह सभी गुनाहों को माफ कर देगा सिवाय शिर्क के (सूरह 39 : आयत 53)

91. अल्लाह की रहमत से मायूस मत हो (सूरह 39 : आयत 53)

92. बुराई को भलाई से दफा करो (सूरह 41 : आयत 34)

93. नमाज़ से अपने काम अंजाम दो (सूरह 42 : आयत 38)

94. तुम से ज़्यादा इज़्ज़त वाला वो है जिसने सच्चाई और भलाई इख्तियार की हो (सूरह 49 : आयत 13)

95. दीन मे रहबानियत मौजूद नहीं (सूरह 57 : आयत 27)

96. अल्लाह के यहां इल्म वालों के दरजात बुलंद हैं (सूरह 58 : आयत 11)

97. ग़ैर मुसलमानों के साथ उचित व्यवहार और दयालुता और अच्छा व्यवहार करो (सूरह 60 : आयत 8 )

98. अपने आप को नफ़्स की हर्ष पाक रखो | (सूरह 64 : आयत 16)

99. अल्लाह से माफी मांगो वो माफ करने और रहम करनेवाला है | (सूरह 73: आयत 20)

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