DIL BUTO PE NISAAR KARTE HAIN
जिन का मज़हब सनम-परस्ती हो
काफ़िरी इख़्तियार करते हैं
उस का ईमान लूटते हैं सनम
जिस को अपना शिकार करते हैं
हौसला मेरा आज़माने को
वो सितम बार बार करते हैं
ऐ 'फ़ना' दिल सँभाल कर रखना
बुत निगाहों से वार करते हैं
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