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Ek Sitam Aur Meri Jaan

इक सितम और मेरी जान _अभी जान बाक़ी है 
दिल में अब तक तेरी उल्फ़त का निशाँ बाक़ी है 

जुर्म-ऐ-तौहीन-ऐ-मोहब्बत की सज़ा दे मुझको 
कुछ तो महरूम-ऐ-उल्फ़त का सिला दे मुझको 
जिस्म से रूह का रिश्ता ____ नही टूटा है अभी 
हाथ से सब्र का _____ दामन नही छूटा है अभी 
अभी जलते हुए _____ ख़्वाबों का धुआँ बाक़ी है 

अपनी नफरत से मेरे प्यार का __ दामन भर दे 
दिल-ऐ-गुस्ताख़ को महरूम-ऐ-मोहब्बत कर दे 
देख टूटा नहीं _____ चाहत का हसीं ताजमहल 
आ के बिखरे नहीं ___ महकी हुई यादों के कँवल 
अभी तक़दीर के _ गुलशन में __ खिज़ा बाक़ी है 

याद आए ना तेरी फिर ___ कभी अपनों की तरह 
भूल जाऊँ तुझे _______ भूले हुए सपनो की तरह 
मिल भी जाए जो कहीं ___ तू तो ना पहचान सकूँ 
बेवफ़ा तेरी _______ हक़ीक़त को नहीं जान सकूँ 
आ मिटा दे ____ जो मोहब्बत का निशाँ बाक़ी है 

शायर- मसरूर अनवर 

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